Wednesday, June 09, 2010

चाल चल ऐसी कि देखे जमाना

राह पर पत्थरों से होगा परिचय,
कांटे के गुलदस्ते से होगा सम्मान,
पर जीवन को कोस कर,
वक्त ज़ाया मत कर, ऐ दोस्त,
चाल चल ऐसी कि देखे जमाना।

हर मोड़ पर छूटेगा किसी का हाथ,
पल-पल बदलेगी राह की रेखा।
पर जीवन को कोस कर,
वक्त ज़ाया मत कर, ऐ दोस्त,
चाल चल ऐसी कि देखे जमाना।

कभी सूरज डूब जाएगा, अंधेरा छायेगा,
बादल गरज कर खून के आँसू बहायेगा।
पर जीवन को कोस कर,
वक्त ज़ाया मत कर, ऐ दोस्त,
चाल चल ऐसी कि देखे जमाना।

हर कदम पर मुरझाएंगे ये फूल,
पेड़ों के पते बन जाएंगे पैरो की धूल।
पर जीवन को कोस कर,
वक्त ज़ाया मत कर, ऐ दोस्त,
चाल चल ऐसी कि देखे जमाना।

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